Monday, December 15, 2008

इराकी पत्रकार ने बुश को जूता मारा - शाबाश मुन्‍तज़र अल जैदी!

अपने फेयरवेल दौरे पर इराक आये अमेरिकी राष्‍ट्रपति बुश पर संवाददाता सम्‍मेलन के दौरान इराकी पत्रकार मुन्‍तज़र अल जैदी ने जूता फेंक कर मारा। दो में से एक जूता सही निशाने पर लगने के बाद मुन्‍तज़र ने चिल्‍लाकर कहा कि ''यह विधवाओं, अनाथ बच्‍चों और इराक में मारे गए लोगों की तरफ से है, कुत्‍ते।'' मुन्‍तज़र का यह व्‍यवहार उस दबे हुए गुस्‍से का इजहार है जो लाखों इराकी नागरिकों के दिलों में अमेरिका के खिलाफ सुलग रहा है। आठ सालों के अपने कार्यकाल के दौरान इराक, अफगानिस्‍तान और कई जगहों पर लाशों के ढेर लगा देने वाले अमेरिकी राष्‍ट्रपति के साथ ऐसा व्‍यवहार सिर्फ एक नमूना है - उसका जो लोग करना चाहते हैं और उसका जो लोग बुश और उसकी जमात के लोगों के साथ करेंगे। हालांकि ऐसा व्‍यवहार होने के बाद भी बुश को शर्म आ जाती तो शायद वह राष्‍ट्रपति ही नहीं बन पाते। बेशर्मी के साथ उसने इस घटना को हल्‍के अंदाज में लिया। इराक की अमेरिकी पिट्ठू सरकार मुन्‍तज़र के साथ जाहिरा तौर पर बुरे से बुरा सलूक करेगी। लेकिन उसने जो हिम्‍मत दिखाई है वह बड़ी और लंबी सोच के साथ न होते हुए भी काबिले-तारीफ है। शाबाश मुन्‍तज़र अल जैदी!

5 comments:

ramakant chaudhary said...

sir,
eraki patrakar dura amerika ke rashpati jorg dablu bush ko jute phenk kar do bar war karana unki sachi anteratama se upji rashtriya bhawana thi. jise unhone kar dikhiya. har desh ke nagarik ko apne desh ki akhandta avam sampruphuta ko viyqut karne ko hak hai.baharhal bush ne jo bite panch varsh se irak main apani manmani kar rakhi hai usse aam iraki janta ab ub chuka hai aur isse nijat chata hai.halanki kisi desh ke rashpati ke sath eaesa vartav bhi nahi karna chahiy tha.ab jo ho gaya hai usse amerika kp sabak lena chahiy.

Arvind Mishra said...

अमेरिका के रास्त्रपति का इससे रोयाँ भी नही उखडेगा -इस्लामी आतंकवाद के विरूद्ध अभियान में बुश का नाम स्वर्णाक्षरों में रहेगा!

antaryatri said...

sare sanghi milkar aap ki kat dalenge jyadatar bloger thalue sanghi hai .aisa rashtrvad dikhanhge ki aap talwar lekar pakistan per halla bol do khud sasur apne ladko ko amerika bhejenge.

जय पुष्‍प said...

आज स्थिति ये है कि बुर्जुआ वर्ग के पास कोई कायदे का लीडर भी विश्‍व मंच पर नहीं है। या तो बुश जैसा मूर्ख और फ्रॉड या क्लिंटन जैसा लंपट ही उनके विकल्‍प हैं। पूंजीवादी संस्‍कृति पतन के रसातल में पहुंच चुकी है और इसलिए जार्ज वाशिंगटन और अब्राहम लिंकन के देश में बुश जैसे लोगों का यह हाल है कि जनता उनकी जूते से पिटाई करना चाहती है। अभी भी कुछ ऐसे जाहिल हैं जो कहते हैं कि बुश आतंकवद से लड़ रहा है। सच्‍चाई यह है कि सबसे बड़ा आतंकवादी वह स्‍वयं है और अनेक स्‍थानों पर आतंकवाद पैदा करने का श्रेय अमेरिका को जाता है। अगर इस घटना से बुश को रोयां भी नहीं उखड़ा है तो इसकी वजह सिर्फ यह है कि बुश के पास अपनी नंगई छिपाने के लिए रोयां बचा ही नहीं है। वह अपनी पूरी निलर्ज्‍जता के साथ अकड़ रहा है और शर्म तो मानवता को महसूस हो रही है।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

आप लोगों की सोच पर तरस आता है.. पर क्या किया जाय...बदला भी नहीं जा सकता ना...