गाजा में बेकसूरों का खून बहाने वाली इजरायली सरकार क्या आतंकवादी नहीं है? हम आतंकवाद को एक ही चश्मे से क्यों देखते हैं? क्या इसलिए कि हमें ऐसे ही देखना सिखाया जाता है। हालांकि बहुत सारे लोग इस बात से सहमत नहीं होंगे लेकिन हम आतंकवाद को दरअसल उस नजरिए से देखते हैं जो देश और दुनिया भर की सरकारें हमें दिखाती हैं। जबकि हकीकत यह है कि राज्य या सरकारी आतंकवाद ज्यादा घातक और अमानवीय होता है। आंकड़े भी बताते हैं कि राज्य आतंकवाद से मरने वाले निर्दोष लोग संख्या में कहीं ज्यादा होते हैं। लेकिन इसके खिलाफ कोई असंतोष नहीं दिखाई देता है। वजह वही नजरिया है जो सरकारों ने हमें दिया है। इस घटना को ही लें। क्या आपको लगता है कि इसकी दुनिया के पैमाने पर इतनी भर्त्सना होगी जितनी मुम्बई हमलों या किसी और हमले की हुई थी। यकीनन नहीं। क्योंकि यह बात ही जेहन से गायब कर दी गई है कि राज्य या सरकार भी आतंकवादी कार्रवाई कर सकती है। आतंकवाद की परिभाषा को सरकारें बड़ी चालाकी से अपने आतंकवाद को छुपाने और कमजोरों के प्रतिरोध पर नकारात्मक लेबल चस्पां करने के लिए इस्तेमाल करती हैं। असल में आतंकवाद आतंकवाद होता है। बल्कि कई बार कमजोरों की बदले की कार्रवाई राज्य या सरकारों के दमन के जवाब में ही होती हैं। गाजा का नरंसहार एक आतंकवादी घटना है। और इसके लिए इजरायली सरकार को भी आतंकवादी माना जाना चाहिए। सवाल यह है कि आतंकवाद की परिभाषा को हम सरकारों से उधार लेकर मानते रहेंगे या खुद आतंकवाद (अन्य और राज्य के आतंकवाद को भी) को ठीक से समझना शुरू करेंगे।
Sunday, December 28, 2008
क्या इजरायली सरकार आतंकवादी नहीं है?
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10 comments:
निश्चय ही यह मुद्दा विचारणीय है.
तब तो लोग कश्मीर में भी आतंकवाद के खिलाफ दमन की कार्यवाही को सरकारी आतंकवाद मानने लग जायेंगे | सरकारी आतंकवाद का हल्ला कर के ही आतंकवादी जनसमर्थन जुटाते है | मै आतंकवाद के खिलाफ किसी भी सरकार की कैसे भी दमनात्मक कार्यवाही को सही मानता हूँ मै तो आतंकवादियों के लिए किसी भी मानवाधिकार तक को सही नही मानता | मानवाधिकार की आड़ में ही आतंकवादी अपने सदस्यों को बचाने सफल रहते है तथा सरकार पर अप्रत्यक्ष दबाव बनते है |
इज़रायल की तो बुनियाद ही आतँकवाद के ज़रिये डाली गई थी साम्राज्यवाद के संकेत, सहायता और सहमति से। आज भी उसके साम्राज्यवादी आक़ाओं के रणनीतिक हित उसे सुरक्षा और बढ़ावा देने में ही सुरक्षित हैं। आपने बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। आभार।
मै आतंकवाद के खिलाफ किसी भी सरकार की कैसे भी दमनात्मक कार्यवाही को सही मानता हूँ.आभार.
रतनसिंह शेखावत और महेंद्र मिश्र, आप लोग तय करिए कि आप किसकी तरफ हैं। जनता की तरफ या सरकार की तरफ। तब शायद मेरी बात आपको समझ आए। वैसे बहस खुले दिमाग और तर्कों के साथ होनी चाहिए।
जी आप सही कह रहे है वास्तव मे तो इजराईलियो को अपने बच्चे सऊदी अरब मे ऊट दौड के लिये महिलाये अफ़गानिस्तान और दुनिया भर के मुस्लमानो के लिये तथा खुद को फ़िलिस्तानी लोगो के हाथो मरने के लिये छोड देना चाहिये . जैसे की आप कशमीर मे हिंदुओ के लिये कह सकते है
इजराइल का सौभाग्य है कि आप जैसे विचारक वहाँ पैदा नही हुए।
सोचना चाहिए पर सोचता कौन हैं। सब अपनी अपनी सुविधा के अनुसार परिभाषा गढ़ लेते हैं आतंकवाद की।
आप को पिछले सप्ताह हमास के हमले दिखाई नही पड़ते |
सचमुच इजराइल का सौभाग्य है कि आप वहां नही हैं और आप का भी |
पंगेबाज व अनुनाद भाई कह चुके है, अतः हम क्या कहें.
एक बात ज्ञात रहे इसलिए कह देता हूँ. यहुदियों को कभी अपनी जमीन से भगा दिया गया था, जैसे पारसियों को भगाया जैसे कश्मीरी पंडितो को भगाया. आज यहुदी अपनी उसी जमीन पर लौटे है, उन्हे शांति से रहने दें, आखीर दुनिया केवल इस्लामियों की ही नहीं है. किसने कहा है की जीना है तो इस्लाम कबूल करना ही होगा. नहीं करेंगे और अपनी अस्मीता के लिए मरेंगे और मारेंगे. इजराइल का समर्थन.
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