Wednesday, December 3, 2008

अन्दर की गन्दगी में से थोड़ा सा उगल दिया नकवी(उनकी विचारधारा) ने

नकवी के औरतों के बारे में विचार कोई अचानक फूटा गुस्‍सा नहीं है। दरअसल उन्‍होंने अपने उस जामे को उतार दिया जो विचारों के रूप में पुरातनपंथी सड़ी-गली विचारधारा वालों के दिल-दिमाग में पैठा होता है लेकिन जिसे खुलेआम जाहिर करने से प्राय: ये लोग बचते हैं। नकवी का बयान अकेले नकवी का बयान नहीं उस पूरी विचारधारा का हिस्‍सा है जो समाज को केवल और केवल पुराने मूल्‍यों और संस्‍कृति की ओर ले जाना चाहते हैं। याद करिए आरएसएस के सरसंघचालक शेषाद्रि ने हिन्‍दुओं से ज्‍यादा बच्‍चे पैदा करने का आह्वान किया था। क्‍या औरतें हिन्‍दु हितों की पूर्ति करने वाली मशीनें हैं? उनके लिए औरतों का चूल्‍हा-चौका संभालना ही ठीक है, सड़कों पर निकल कर नारे लगाना और वो भी पूरी नेताशाही और लोकतंत्र के खिलाफ उनके लिए न सहने योग्‍य चीज है। तभी उनका गुस्‍सा इतने घटिया शब्‍दों में बाहर निकलता है। वैसे अच्‍छा भी है कम से कम गन्‍दगी बाहर तो निकली वरना यह भ्रम भी बनाया गया था कि पुरातनपंथी विचारधारा आधुनिकता के खिलाफ नहीं है। इस भ्रम का टूटना भी अच्‍छा है। नकवी का बयान केवल इस विचारधारा की अन्‍दर की विशाल गन्‍दगी के एक छोटे से हिस्‍से का बाहर आना यानी नकवी द्वारा उगल दिया जाना है। यह बात गौर करने वाली है कि लोकतंत्र या व्‍यवस्‍था पर सवाल उठाने की बात सबसे ज्‍यादा इन्‍हीं को चुभती है। आगे जैसे-जैसे जनता का विश्‍वास इस पूरी व्‍यवस्‍था से उठते जाने की उम्‍मीद है, इन लोगों का असली एजेण्‍डा इसी तरह उगला जाता रहेगा। देखिये आने वाले समय में क्‍या-क्‍या उगलेंगे।

1 comment:

दीन दरवेश said...

शाब्बास, श्शब्बास, नकवी तो बहुत बड़ा गधा है
कुछ लोग उसकी आरआरएसीय विचारधारा को गाली देंगे
कुछ लोग कहेंगे इस्लाम में औरत की हालत को कोसेगें.

अब जब कोसने पर आये हो तो *तिया नंदन को क्यों छोड़ चले हो, उसके बारे में आपका क्या ख्याल है स्वामी जी?

*तिया नंदनो के लिये लिये तो देश और देशभक्त हमेशा से कुत्ते ही रहे हैं ना

न जाने हमारे देश को *तियानंदनो, राजठाकरों, नकवियों, पाटिलो और मायोपिया से पीड़ित संकीर्ण विचारधारा वाले मूर्ख बुद्दिजीवियों से कब मुक्ति मिलेगी!