Tuesday, December 23, 2008

मुन्‍तज़र और इराकी-अमेरिकी लोकतंत्र का खेल

मुन्‍तज़र अल जैदी के मामले में साफ होता जा रहा है कि इराकी सरकार उसी ''लोकतंत्र'' के नियम-कानूनों का मखौल उड़ा रही है जिसकी वह इतनी दुहाई दिया करती है। खबर है कि हिरासत में उसके साथ बेहद अमानवीय व्‍यवहार किया जा रहा है और घोर यातनाएं दी जा रही हैं। जेल में उससे मिलकर लौटे उसके भाई उदय ने बताया कि उसका एक दांत टूट गया है, आंख पर गहरी चोट का निशान है, शरीर पर सिगरेट से दागे जाने और पिटाई के निशान है। हिरासत में मुन्‍तज़र को नंगा करके उल्‍टा लटकाया गया, दागा गया और मोटे तार से पिटाई की गई। मुन्‍तज़र का कहना है कि उससे जबर्दस्‍ती माफीनामे पर हस्‍ताक्षर करवाए गए थे। और अब उसका संबंध जबर्दस्‍ती किसी धार्मिक कट्टरपंथी नेता के साथ जोड़ा जा रहा है ताकि उसे ढंग से फंसाया जा सके।
यह दिखने लगा है कि इराकी सरकार उसे छोड़ने नहीं जा रही है। अगर मुन्‍तज़र को अपने इस काम (जिसे बुश ने मुक्‍त समाजों की देन बताया था) के लिए कानूनी या गैरकानूनी मौत दे दी जाए तो आश्‍चर्य नहीं करना चाहिए। यह ''लोकतंत्र'' ऐसा ही है। इसकी अदालतें, कानून, इंसाफ सबकी असलियत सामने आती जा रही है। सवाल यह है कि इस नंगी सच्‍चाई को हम लोग स्‍वीकारना कब शुरू करेंगे।
मुन्‍तज़र ने कहा है कि अगर मौका मिला तो वो दोबारा ऐसा ही करेगा। शायद मुन्‍तज़र जैसे अनगिनत लोगों का जज़्बा और कुर्बानियां इस सच्‍चाई को हमें समझाने में थोड़ी कामयाब हो पाये।

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