Monday, September 15, 2008

दिल्ली के धमाकों का संकेत

दिल्ली में हुए धमाके आतंकवाद रुपी उसी समस्या की अगली कड़ी हैं जिसकी जड़े काफी गहरी हैं। आमतौर पर ऐसी घटनायों के बाद चारों तरफ़ से ऐसी चीजों के ख़िलाफ़ माहौल बनने लगता हैं। ठीक भी हैं आतंकवाद किसी समस्या का समाधान नहीं हैं। लेकिन हमें इसकी भर्त्सना करते हुए यह भी सोचना चाहिए की यह समस्या पैदा ही क्यों होती हैं

4 comments:

Kavita Vachaknavee said...

नए चिट्ठे का स्वागत है.
निरंतरता बनाए रखें.
खूब लिखें, अच्छा लिखें.

पवन मिश्रा said...

जी बिल्कुल हम आप का समर्थन करते हैं.
आप को यदि ब्लॉग बनाने, सजाने या कमाने से सम्बन्धित जानकारी चाहिए तो 'ब्लॉग्स पण्डित' पर जाएँ.
http://blogspundit.blogspot.com/

شہروز said...

सलाम-नमस्ते!
ब्लॉग की दुनिया में हार्दिक अभिनन्दन!
आपने अपनी व्याकुलता को समुचित तौर से व्यक्त करने का प्रयास किया hai.
अच्चा लगा, इधर आना.

फुर्सत मिले तो आ मेरे दिन-रात देख ले

http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/

http://hamzabaan.blogspot.com/

http://saajha-sarokaar.blogspot.com/

kar lo duniya muththee me said...

बहुत सटीक लिखा है हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है निरंतरता की चाहत है समय नकाल कर मेरे ब्लॉग पर भी दस्तक दें