Thursday, September 18, 2008

प्रखर पत्रकार भी थे भगतसिंह

भगतसिंह सिर्फ़ बम-पिस्तौल ही अच्छी तरह नहीं चलते थे बल्कि कलम का भी खूब जमकर प्रयोग करते थे। अपने मकसद के पूरा होने में विचारो की अहमिअत को तरजीह देते हुए उन्होंने उस दौर के सभी प्रमुख जनपक्षधर पत्र-पत्रिकाओं में लिखा। गणेशशंकर विद्यार्थी के प्रताप, 'मतवाला', 'चाँद', 'कीरती', 'महारथी', 'अभुऊदय' और 'द पीपुल' में उनके ढेरो लेख छपे थे। इनमे उन्होंने सभी महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को गहराई के साथ उठाया था। भाषा, जाती-समस्या, छूआछूत, धर्म, राजनीति, भारत के क्रांतिकारी इतिहास आदि कई विषयों पर उनका लेखन उनकी असाधारण पैनी दृष्टी का परिचय देता हैं। उनकी पहली गिरफ्तारी भी काकोरी के शहीदों के सस्मरण लिखने पर ही हुई थी। आखिरी समय में भी मुक़दमे के दौरान उनके लेख चोरी-छुपे अख़बारों में छपते थे। जाहिर हैं भगतसिंह कलम को एक हथियार से कम नहीं समझाते थे। वे वास्तव में एक प्रखर पत्रकार थे।

1 comment:

जय पुष्‍प said...

सही लिखा है कपिल। प्रमुख पत्रों में लिखने के अलावा भगतसिंह, भगवतीचरण वोहरा, सुखदेव और एचआरए तथा बाद में एचएसआरए के क्रान्तिकारियों ने पर्चों/पैम्‍फलेटों को भी अपना माध्‍यम बनाया और सीधे आम लोगों तक अपनी बात पहुंचायी। समय समय पर उन लोगों ने जो पर्चे छापे थे उनसे भी पता चलता है कि भगतसिंह और उनके साथी क्रान्तिकारियों में कितनी बौद्धिक योग्‍यता और क्षमता थी। भगतसिंह की जेल डायरी को पढ़कर भी इसकी पुष्टि होती है।