Thursday, April 16, 2009

एक चुनाव जो सिर्फ नफरत पर टिका है

आज हिन्‍दू में एक चुनावी क्षेत्र का जायजा लेते हुए लेख छपा है जो वहां की हवा में चारों ओर फैली नफरत की गंध को बारीकी से पकड़ता है। कंधमाल के एक चुनावी कार्यालय के माहौल और वहां हुई बातचीत के जरिए 'अंडरकरेंट' बह रहे डर और नफरत के घुलेमिले अहसास को यह लेख अच्‍छे ढंग से सामने लाता है। इसका बिटवीन द लाइन पाठ और प्रभाव उस राजनीतिक प्रयोग को सामने लाता है जो कंधमाल में 'क्रिया की प्रतिक्रिया' वाला तर्क दोहरा रहा है।

2 comments:

Science Bloggers Association said...

अफसोस।

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तस्‍लीम
साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

दिनेशराय द्विवेदी said...

नफरत हमेशा जमीन के नीचे बहती है। पर नाक तेज हो तो पहचानी जा सकती है।