Wednesday, April 15, 2009

दिल्‍ली में श्रीराम सेना के गुंडों को पत्रकारों ने ढंग से धकियाया

दिल्‍ली में अभी कुछ देर पहले श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओं के उत्‍पात मचाने पर वहां मौजूद पत्रकारों द्वारा उन्‍हें ढंग से धकियाया-‍लतियाया गया। शायद पहली बार गुंडों को थोड़ा ही सही पर करारा जवाब मिला है। दरअसल आज इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में भारत-पाकिस्‍तान के पत्रकारों का सम्‍मेलन किया जा रहा था जिसमें श्रीराम सेना के कई कार्यकर्ता घुस गए थे। सम्‍मेलन के बीच में उन्‍होंने पाकिस्‍तान मुर्दाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिये। लेकिन इन गुंडों की उम्‍मीद के उलटे उन्‍हें आशुतोष समेत कुछ और पत्रकारों द्वारा धकेल कर बाहर कर दिया गया। वैसे तो इन गुंडों से उन्‍हें समझ आने वाली भाषा में बात की जाती तो ज्‍यादा बेहतर रहता लेकिन फिर भी यह देखकर अच्‍छा लगा कि बड़ी-बड़ी नौकरियां करने वाले पत्रकारों ने इस ढंग से धकेल कर इन लोगों को बाहर कर दिया। हमारे बुद्धिजीवियों को बातें करने के साथ-साथ इस तरह के काम करते रहने चाहिए। क्‍योंकि गुंडें विमर्श नहीं करते! आगे की खबर अगली पोस्‍ट में....

5 comments:

अजय कुमार झा said...

bahut bahdiyaa, hua ye aisee senaa hai jise latiyaane kee jaroorat thee bilkul theek huaa.

Ravi Singh said...

पत्रकार अच्छा काम कर रहे हैं
पिछले हफ्ते भी एक जांबाज पत्रकार के कांग्रेसी हत्यारों के खिलाफ जूता उछाला था, जिसकी धमक कांग्रेसियों के कानों में अब तक बज रही है

दिनेशराय द्विवेदी said...

यह काम करना पत्रकारों को ही नहीं, सभी को सीखना होगा। लोगों ने यह समझ लिया कि इस तरह वे अपना महत्व स्थापित कर लेंगे।

सुमो said...

पाकिस्तान मुर्दाबाद बोल रहे थे?
तब तो वो जरूर गुंडे ही होंगे

सभ्य आदमी तो हिन्दुस्तान मुर्दाबाद बोलते हैं
जब हिन्दुस्तान में कसाब जैसे आतंकवादियों और देशद्रोहियों के आने पर रोक नहीं है तो बेचारे पाकिस्तानी पत्रकारों के आने पर ही क्यों रोक लगे

हमारा पूर्ण समर्थन अपने साथ समझिये

naveen prakash said...

इस निराशा के दौर में ऐसे पत्रकारों की समाज को बहुत जरूरत है जो लोगों को सही और गलत का आइना दिखा सके. और सिर्फ पाकिस्तान मुर्दाबाद-मुर्दाबाद बोलने से कोई बहुत बड़ा देशभक्त नहीं बन जाता है.