Thursday, May 7, 2009

लोकतंत्र के हत्‍यारों को कभी माफ मत करो

जिस देश में रोजाना 6,000 से ज्‍यादा बच्‍चे भूख और कुपोषण से मर जाते हों, जिस देश में कारखानों और खदानों में रोजाना 400 मजदूर मारे जाते हों, जिस देश में पुलिस हिरासत में रोजाना 6 लोगों को बिना सुनवाई के मार दिया जाता हो, उस देश के चुनाव के बारे में मुझे बहुत कुछ कहना है। सर्वेश्‍वरदयाल सक्‍सेना की यह कविता सच्‍चे लोकतंत्र की मूल अवधारणा की हत्‍या करने वाले लोगों को कभी माफ न करने की बात करती है...
कभी मत करो माफ

इस दुनिया में
आदमी की जान से बड़ा कुछ भी नहीं है
न ईश्‍वर
न ज्ञान
न चुनाव
न संविधान

इसके नाम पर कागज पर लिखी कोई भी इमारत
फाड़ी जा सकती है
और जमीन की सात परतों के भीतर
गाड़ी जा सकती है

जो विवेक
खड़ा हो लाशों को टेक
वह अन्‍धा है
जो शासन
चल रहा हो बन्‍दूक की नली से
हत्‍यारों का धन्‍धा है

यदि तुम यह नहीं मानते
तो मुझे एक क्षण भी
तुम्‍हें नहीं सहना है
एक बच्‍चे की हत्‍या
एक औरत की मौत
एक आदमी का गोलियों से चिथड़ा तन
किसी शासन का नहीं
सम्‍पूर्ण राष्‍ट्र का है पतन
ऐसा खून बहकर
धरती में जज्‍ब नहीं होता
आकाश में फहराते झण्‍डों को
थामा करता है

जिस धरती पर
फौजी बूटों के निशान हों
और उन पर लाशें गिर रही हो
वह धरती
यदि तुम्‍हारे खून में आग बनकर नहीं दौड़ती
तो समझ लो
तुम बंजर हो गये हो
तुम्‍हें यहां सांस लेने तक का नहीं है अधिकार
तुम्‍हारे लिए नहीं रहा यह संसार

आखिरी बात
बिल्‍कुल साफ
किसी भी हत्‍यारे को
कभी मत करो माफ
चाहे हो वह तुम्‍हारा यार
धर्म का ठेकेदार
चाहे लोकतंत्र का स्‍वनामधन्‍य पहरेदार

4 comments:

Anil Pusadkar said...

सही कह रहे हैं आप। छत्तीसगढ मे नक्सलियो ने बीती रात ग्यारह लोगो को मार डाला।उन्हे भी माफ़ नही करना चाहिये।

अक्षत विचार said...

अनिल जी से सहमति की किसी को भी हिंसा करने का कोई अधिकार नहीं

अमिताभ श्रीवास्तव said...

bhai, bahut kadvahat he aapki lekhni me// yatharth sach vakai bahut kadva hota he/aour jab bhi ham us par likhne bethte he, meethaas peda hi nahi hoti//yahi hamare loktantra ki parajay he//
bahut achhi tarah se aapne shbdo ko nibhaya he/

Ashok Kumar pandey said...

सही कहा आपने।
हिंसा को जिस तरह नक्सली मित्रों ने साधन से साध्य बना डाला है वह अनुचित है पर उनको सज़ा देने के लिये तो क़ानून है…क़ानूनी हत्यारों को कौन सज़ा देगा?