मैंगलोर हमले की एक चश्मदीद गवाह ने बताया कि हमला करने वाले लोग नारे लगा रहे थे - ''भारत माता की जय, जय श्री राम, बजरंग दल की जय, श्रीराम सेना की जय। औरतों को बुरी तरह मारते हुए वे लोग हंस रहे थे, उनके लिए यह सब मजाक की तरह था।'' (देखें द् हिन्दू, पृष्ठ 12, 27 जनवरी 09)
इन संगठनों के काम करने के तरीकों की खास बातें ज्यादा साफ हुईं हैं पहली, मूल संगठन से असम्बद्ध दिखने वाले ढेरों संगठन खड़े करो और अपने एजेंडे को लागू करो, दूसरी, इन असम्बद्ध दिखने वाले संगठनों को अलग-अलग काम देना, मसलन कर्नाटक में बजरंग दल का काम धर्मांतरण के खिलाफ मुहिम चलाना है, भारतीय जनजागृति समिति का काम देवताओं के अपमान का बदला लेना है और श्रीराम सेना के जिम्मे हिन्दू संस्कृति की रक्षा करना है। (देखें TOI, पृष्ठ 6, 27 जनवरी 09) तीसरी, अपना कानून, अपना संविधान लागू करो, लोगों को उन्हें मानना पड़ेगा, उदाहरण हमारे देश में कभी पबों, कभी पार्कों, कभी सिनेमाघरों में सरेआम सजा देते हमारे ''धर्मरक्षक''! सब कुछ धर्म के नाम पर, धर्म की रक्षा के लिए।
5 comments:
स्वात घाटी से हवा आ रही है.
अफसोसजनक एवं निंन्दनीय.
जब आसपास इतने मठ, मंदिर हैं जहां जाकर नशा किया जा सकता है तो पब जाने की क्या जरूरत है। नशा करना है तो भारतीय परंपरा में रहते हुए करो। पाप करो मगर धार्मिक तरीके से करो। पाप न करो तो भी धार्मिक तरीके से। हमारी संस्कृति में सुरा और सुदरी का सुख देवताओं के लिए है मनुष्य और वो भी जो उच्च जाति के न हों उनके लिए तो एकदम वर्जित है। और स्त्री को तो मर्यादा में रहना ही चाहिए। उसे पुरुष को परमेश्वर से कम नहीं समझना चाहिए। उसका काम पुरुष की सेवा करना और बच्चे पैदा करना है। हमने तो गार्गी तक को उसकी औकात बता दी थी तो आज की स्त्रियां किस खेत की मूली हैं।
आप चाहे लाख समझाओ हम नहीं समझने वाले। हम हैं राष्ट्रीय संस्कृति के स्वयंभू ठेकेदार।
Sharmnak hai ki inhe logo.n ka khasa samarthan bhi milne laga hai.
hi
nice article,
they are afraid that honest is coming to india.
they are afraid with new generation.
you know when a child sees new things first he is afraid just like that when this corrupt political parties are smelling arrival of honesty,equality, they are afraid.
congress and bjp and other parties are ruling on india with same laws and principle which british people used.
so we have to think again are we slaves of our system.
do we got fundamental rights ?
http://realityviews.blogspot.com/
Post a Comment