Sunday, February 15, 2009

प्‍यार हमें शक्ति देता है. — भगतसिंह

चिपलूनकरजी ने मुझे अपने विचारों से लाभांवित करवाने के लिए कहा था। अपने तो नहीं अलबत्‍ता प्रेम के बारे में भगतसिंह के विचारों से शायद वे बात कुछ समझ सके। किसी से, अपने देश से या समाज से वही सच्चे अर्थों में प्यार कर सकता है जो सहज मानवीय भावनाओं से भी ओतप्रोत हो। भगतसिंह ने प्रेम के बारे में कुछ ऐसा ही लिखा है। वैसे प्रेम किसी भी कारण से चर्चा में है तो अच्छी बात है। विरोध और समर्थन इसे प्रकट करने के तरीके के बारे में है। मेरा मानना है जो चीज वास्तव में जैसी होती है उस तक पहुंचने का रास्ता भी उसी के अनुरूप हो जाता है। क्या आपको नहीं लगता तमाम मूल् क्षरित होने के दरमयान प्रेम का मूल् भी कम हुआ है अलबत्ता बाहरी रंग-रोगन ज्यादा चमक गया है। भगतसिंह के प्रेम के उस आंतरिक मूल् के बारे में ये विचार प्रस्तुत हैं जो उन्होंने सुखदेव के नाम अपने पत्र में प्रकट किए थे (संदर्भ : भगतसिंह और उनके साथियों के संपूर्ण उपलब् दस्तावेज, राहुल फाउंडेशन, लखनऊ) इनसे क्रान्तिकारियों के अन् महत्वपूर्ण पक्षों की तरह सहज मानवीय भावनाओं के बारे में उनके गहरे विचारों का भी पता चलता है।


प्‍यार हमें शक्ति देता है...
जहां तक प्‍यार के नैतिक स्‍तर का संबंध है, मैं यह कह सकता हूं कि यह अपने में कुछ नहीं है, सिवाय एक आवेग के, लेकिन पाशविक वृत्ति नहीं, एक मानवीय अत्‍यंत सुंदर भावना। प्‍यार अपने में कभी भी पाशविक वृत्ति नहीं है। प्‍यार तो हमेशा मनुष्‍य के चरित्र को ऊंचा उठाता है, यह कभी भी उसे नीचा नहीं करता। बशर्ते प्‍यार प्‍यार हो। तुम कभी भी इन लड़कियों को वैसी पागल नहीं कह सकते—जैसे कि फिल्‍मों में हम प्रेमियों को देखते हैं। वे सदा पाशविक वृत्तियों के हाथों में खेलती हैं। सच्‍चा प्‍यार कभी भी गढ़ा नहीं जा सकता। यह तो अपने ही मार्ग से आता है। कोई नहीं कह सकता कब? लेकिन यह प्राकृतिक है। हां मैं यह कह सकता हूं कि एक युवक और एक युवती आपस में प्‍यार कर सकते हैं और अपने प्‍यार के सहारे अपने आवेगों से ऊपर उठ सकते हैं। अपनी पवित्रता बनाये रख सकते हैं। मैं यहां एक बात साफ कर देना चाहता हूं कि जब मैंने कहा था कि प्‍यार इन्‍सानी कमजोरी है, तो साधारण आदमी के लिए नहीं कहा था; जिस स्‍तर पर कि आम आदमी होते हैं। वह एक अत्‍यंत आदर्श स्थिति है, जहां मनुष्‍य प्‍यार, घृणा आदि के आवेगों पर विजय पा लेगा। जब मनुष्‍य अपने कार्यों का आधार आत्‍मा के निर्देशों को बना लेगा, लेकिन आधुनिक समय में यह कोई बुराई नहीं है। बल्कि मनुष्‍य के लिए अच्‍छा और लाभदायक है। मैंने एक व्‍यक्ति के दूसरे व्‍यक्ति से प्‍यार की निन्‍दा की है लेकिन वह भी एक आदर्श स्‍तर पर। इसके होते हुए भी मनुष्‍य में प्‍यार की गहरी से गहरी भावना होनी चाहिए, जिसे कि वह एक ही आदमी में सीमित न कर दे बल्कि विश्‍वमय रखे।
—भगतसिंह

5 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

भगत सिंह और गांधी जी के विचार लोगों ने सही परिप्रेक्ष्य में समझे ही नहीं. पूरे देश का आवाहन है कि इन लोगों के विचार सम्यक परिप्रेक्ष्य में पढें. सुरेश जी ने जो लिखा है ठीक लिखा है.

अनुनाद सिंह said...

"प्‍यार तो हमेशा मनुष्‍य के चरित्र को ऊंचा उठाता है, यह कभी भी उसे नीचा नहीं करता। बशर्ते प्‍यार प्‍यार हो।"

यदि उपरोक्त बात बिना किसी शर्त के सही होती, और सब पर लागू होती, तो लाल-बत्ती-क्षेत्र का चरित्र सबसे ऊँचा होता। इसलिये दो बातों की विशेष आवश्यकता है - शब्दों को परिभाषित करना ुनका अर्थ सीमित करना) तथा सही सन्दर्भ में बातें करना।

अनुनाद सिंह said...

"प्‍यार तो हमेशा मनुष्‍य के चरित्र को ऊंचा उठाता है, यह कभी भी उसे नीचा नहीं करता। बशर्ते प्‍यार प्‍यार हो।"

यदि उपरोक्त बात बिना किसी शर्त के सही होती, और सब पर लागू होती, तो लाल-बत्ती-क्षेत्र का चरित्र सबसे ऊँचा होता। इसलिये दो बातों की विशेष आवश्यकता है - शब्दों को परिभाषित करना (उनका अर्थ सीमित करना) तथा सही सन्दर्भ में बातें करना।

जय पुष्‍प said...

अनुनाद जी के लिएर:
लाल-बत्ती-क्षेत्र का अपने आप में समाज से अलग कोई चरित्र नहीं होता। उसका चरित्र वही होता है जो आम समाज में होता है। क्‍योंकि वहां जाने वाले आम समाज के तथा‍कथित भलेमानुस होते हैं। बल्कि सभ्‍य समाज में जो गुपचुम तरके से होता है वह लाल बत्ती क्षेत्र में खुलेआम होता है। इसलिए इस लेख के संदर्भ में लाल बत्ती क्षेत्र की बात आपने क्‍यों की यह समझ से परे है। वैसे भगतसिंह ने जिस मायने में प्रेम की बात की है उस प्रकार के प्रेम के लिए कोई लाल बत्ती क्षेत्रों में नहीं जाता।
लगता है क‍ि आपको लाल बत्ती क्षेत्र से तो नफरत है लेकिन लाल बत्ती क्षेत्र जाने वालों, उसकी जरूरत पैदा करने वालों, उसको प्रश्रय देने वालों से आपको कोई ऐतराज नहीं है। आपको लगता है कि लाल बत्ती क्षेत्र हवा में पैदा हो जाते हैं।

Anonymous said...
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