



नेपाली जनयुद्ध शुरू होने के 12 साल कल 12 फरवरी को पूरे होने जा रहे हैं। जनता की जीत के एक मुकाम पर आज खड़े नेपाल समेत दुनिया भर के जनपक्षधर लोगों के लिए यह एक बड़ा दिन है।
नेपाली जनयुद्ध के बारे में कहा गया कि इसमें सिर्फ हथियारों के दम पर सत्ता तक पहुंचा गया है। यह कहने वाले भूल जाते हैं कि जनता के बिना हथियार कुछ नहीं कर सकते।
नेपाली क्रान्ति दरअसल 1996 से बहुत पहले शुरू हो गयी थी। जब गांव-गांव में कार्यकर्ताओं ने लोगों के बीच काम करना शुरू किया था। भयंकर गरीबी झेलने वाले नेपाल के गांवों में गांवों और लोगों की हालत सुधारने के छोटे-मोटे कामों से क्रान्ति शुरू हुई थी।
दरअसल क्रान्ति सिर्फ और सिर्फ जनता के दम पर ही की जा सकती है। हमारे देश में एक जमाने में क्रान्ति का नाम लेने वाले आजकल पूंजीपतियों के चाकर बन गये हैं और कुछ लोगों के लिए व्यक्तिगत बहादुरी और हथियार ही क्रान्ति हैं। नेपाली क्रान्ति हमें काफी कुछ सिखा सकती है।
2 comments:
आप सही कह रहे हैं। क्रान्ति जनता ही करती है।
किसे बेवकुफ बना रहे हो दोस्त ? अगर माओवादी इमान्दार है तो मै बहुत खुश हुं। लेकिन मुझे लगता है की इनके तार चर्च नियंत्रित साम्राज्यवादी शक्तियो से जुडे है । = अनवर अली
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