प्रो के.बालगोपाल नहीं रहे। मानवाधिकारों और राज्यसत्ता के दमन के खिलाफ अनवरत संघर्ष करने वाले प्रो. बालगोपाल का नाम सलवा जुडूम पर उनकी बेहद सटीक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट के बाद पता चला था। प्रो. बालगोपाल ने दर्जनों फर्जी मुठभेड़ों और पुलिस दमन के खिलाफ लंबी लड़ाइयां लड़ीं। उन्होंने राज्यसत्ता के दमन के खिलाफ आवाज उठाने के साथ-साथ 'आतंकवाद' की राह पर चल रहे नक्सली आंदोलन की सोच पर भी सवाल उठाएं। आज के हालातों में प्रो. बालगोपाल का अचानक जाना हमारे देश के मानवाधिकार आंदोलन की अपूरणीय क्षति है और आंदोलन ने अपना एक विलक्षण सहयोद्धा और वैचारिक मार्गदर्शक खो दिया है। सलवा जुडूम पर उनकी चर्चित रिपोर्ट और भारत के राजनीतिक आंदोलन पर एक लेख पढ़ें।
Sunday, October 11, 2009
मानवाधिकार आंदोलन की अपूरणीय क्षति है प्रो. के. बालगोपाल का देहांत
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1 comment:
A condolence meeting is being held to mourn the death of prof. Baalgopal and to carry his legacy forward. Wednesday 14th october evening 5 pm at ISI building, Everybody who shares balgopal's fight against anti people forces should attend.
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