Monday, August 10, 2009

हाल अच्‍छा नहीं है मीडियाकर्मियों की सेहत का

(मीडिया स्‍टडीज ग्रुप काफी लंबे समय से मीडियाकर्मियों से जुड़े विभिन्‍न मुद्दों पर अध्‍ययन और सर्वेक्षण कर रहा है। इसकी ताजा रिपोर्ट में मीडियाकर्मियों के स्‍वास्‍थ्‍य के पहलू पर नजर डाली गई है। इस रिपोर्ट को जनसत्ता (साभार) में छपे अनुसार प्रस्‍तुत कर रहा हूं...)

मीडियाकर्मी यूं तो काम के तनाव के कारण कई तरह की बीमारियों का सामना कर रहे हैं लेकिन मीडिया क्षेत्र में सर्वाधिक रोगी हड्डी एवं रीढ़ तथा मधुमेह से संबंधित समस्‍याओं के है। यदि पत्रकारों को लेकर किए गए एक अध्‍ययन पर गौर करें तो 14.34 फीसदी पत्रकारों को हड्डी एवं रीढ़ में तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है जबकि 13.81 फीसदी मीडियाकर्मी मधुमेह से पीडि़त हैं।
मीडिया स्टडीज ग्रु ने पत्रकारों की कार्य स्थिति तथा जीवन स्‍तर का पता लगाने के उद्देश्‍य से 13 जुलाई 2008 से 13 जून 2009 के बीच एक सर्वेक्षण किया गया। सर्वेक्षण के अनुसार 13.50 फीसदी हृदय एवं रक्तचाप संबंधी रोगों से पीड़ि‍त हैं, दंत रोग से पीडि़त मीडियाकर्मियों की संख्‍या 11.39 फीसदी है।

वरिष्‍ठ पत्रकार अनिल चमड़ि‍या और शोधार्थी देवाशीष प्रसून की टीम द्वारा किए गए अध्‍ययन में कहा गया है कि 13.08 प्रतिशत मीडियाकर्मी उदर रोगों से पीडि़त हैं। 11.81 फीसदी नेत्र रोग तथा 2.10 प्रतिशत मीडियावाले कमजोरी थकान और सिरदर्द जैसी समस्याओं से परेशान हैं। 48.06 प्रतिशत मीडियाकर्मियों का यह कहना है कि उन्हें उपचार के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है जबकि 51.94 फीसदी मीडियाकर्मियों को इलाज के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता।
सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि 61.27 प्रतिशत मीडियाकर्मियों के खाने पीने का कोई निर्धारित समय नहीं है जबकि 17.61 फीसदी मीडियाकर्मियों ने अपने भोजन का समय निर्धारित कर रखा है।

अध्ययन के अनुसार 54.17 फीसदी मीडियाकर्मी अपनी नौकरी के मामले में असुरक्षा महसूस करते हैं लेकिन 45.82 प्रतिशत अपनी नौकरी को सुरक्षित मानते हैं। 12.59 फीसदी मीडियाकर्मियों ने अब तक छह या इससे अधिक जगहों पर अपनी सेवाएं दी हैं जबकि 66.43 प्रतिशत मीडियावाले दो से पांच नौकरियां बदल चुके हैं। एक ही संस्थान या संगठन में काम करने वालों का प्रतिशत 28.8 है

दफ्तर तक के सफर को देखें तो 56.25 प्रतिशत मीडियाकर्मी 10 किमी या इससे अधिक दूरी तय कर अपने कार्यालय पहुंचते हैं जबकि 21.53 फीसदी मीडियाकर्मियों को इसके लिए 5-10 कि मी तक की दूरी तय करनी पड़ती है। 1-5 किमी तक की दूरी तय करने वालों का प्रतिशत 10.06 है जबकि कार्यालय आने के लिए एक से भी कम किमी की दूरी तय करने वालों का प्रतिशत 4.17 है। 16.32 फीसदी मीडियाकर्मी अपने दफ्तर पहुंचने के लिए सिर्फ मेट्रो का इस्तेमाल कर रहे हैं जबकि 11.58 फीसदी को मेट्रो के अलावा दूसरे परिवहन साधनों का भी इस्तेमाल करना पड़ता है। कार से दफ्तर पहुंचने वालों का प्रतिशत 13.16 है जबकि 18.42 फीसदी मीडियाकर्मी स्कूटर या मोटरसाइकिल से कार्यालय पहुंचते हैं। 13.68 फीसदी मीडियाकर्मी तिपहिए से दफ्तर पहुंचते हैं 10 फीसदी बस के जरिए कार्यालय पहुंचते हैं।
दिन की पाली में काम करने वाले मीडियाकर्मियों की संख्‍या 52.35 फीसदी है जबकि 21.76 प्रतिशत शाम के समय काम करते हैं। 14.71 फीसदी मीडियाकर्मियों का काम रात के समय निश्चित होता है और 11.18 फीसदी सुबह की पाली में अपने काम को अंजाम देते हैं।
र्वेक्षण के अनुसार 61.63 फीसदी मीडियाकर्मियों का पसंदीदा क्षेत्र प्रिंट मीडिया है जबकि टेलीविजन 22.09 प्रतिशत की पसंद है। 4.65 प्रतिशत मीडियाकर्मी खुद को किसी समाचार एजेंसी में काम करने का इच्छुक बताते हैं। 54.55 प्रतिशत मीडियाकर्मी अपने काम से संतुष्ट हैं जबकि 45.45 प्रतिशत असंतुष्ट 65.51 फीसदी मीडियाकर्मियों को प्रतिदिन 8 घंटे से अधिक समय तक काम करना पड़ता है जबकि 23.65 फीसदी ने कहा कि उनसे 8 घंटे ही काम लिया जाता है। 12.84 फीसदी मीडियाकर्मियों ने कहा कि उन्हें 8 घंटे से भी कम समय तक काम करना पड़ता है। 71.53 फीसदी मीडियाकर्मियों को एक दिन का साप्ताहिक अवकाश मिलता है और 17.36 प्रतिशत को दो दिन का साप्ताहिक अवकाश मिलता है जबकि 11.11 प्रतिशत मीडियाकर्मी ऐसे हैं जिन्हें कोई अवकाश ही नहीं मिलता। 4.41 फीसदी मीडियाकर्मी पिछले पांच साल से अस्‍वस्‍थ महसूस कर रहे हैं। 6.62 फीसद की पिछले तीन साल से तबियत अच्‍छी नहीं है। सर्वेक्षण के लिए पत्रकारों से ईमेल के जरिए सवाल पूछे गए जिन पर प्रतिक्रिया देने वालों में 83.67 फीसद पुरुष तथा 16.33 फीसद महिलाएं हैं।

3 comments:

उम्मतें said...

कार्य दशाओं में ,रोजगार की अनिश्चितता , शारीरिक कष्ट वगैरह...वगैरह...वगैरह , किसे नहीं होते ?
सर्वेक्षण में कुछ बिंदु और जोड़े गए होते तो अच्छा होता जैसे -
(१) मीडिया के काफी बड़े हिस्से की त्वरित आर्थिक समृद्धि !
(२) पाठकों / दर्शकों के मध्य उनके कार्य की विश्वसनीयता !
(३) कार्य दक्षता !
(4)???

कनिष्क कश्यप said...

Thanks for being there at BLOGPRAHARI
Your site has no burned feeds.
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kindly burn your feeds at
FEEDBURNER, so that we can show your site listing and link on our pages.
Thanks

BLOGPRAHARI

PAnkaj SAanidhya said...

sir,vicharo ki aakramakta ka swagat hai,datas,shabd aapki mehnat dikhati hai
pankaj "saanidhya"