tag:blogger.com,1999:blog-2275470272718111970.post6573500697572522143..comments2023-10-15T13:12:51.019+05:30Comments on अन्दर की बात!: धर्म और जनताKapilhttp://www.blogger.com/profile/15871506466698035418noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2275470272718111970.post-82927913162620479872008-10-05T11:14:00.000+05:302008-10-05T11:14:00.000+05:30सृष्टि में मौजूद हर चीज के लिए आवश्यक है कि वह अप...सृष्टि में मौजूद हर चीज के लिए आवश्यक है कि वह अपने अस्तित्व का औचित्य सिद्ध करें वर्ना उसे नष्ट हो जाना होता है। उसी तरह किसी भी सत्ता या शासन प्रणाली के लिए भी जरूरी है कि वह साबित करें कि वही सबसे योग्य, उपयुक्त और वैध प्रणाली है। चूंकि धर्म के मामलों में लोग तर्क का कम प्रयोग करते हैं इसलिए हर युग की राज्यसत्ता ने धर्म का प्रयोग यह सिद्ध करने के लिए किया कि उसे भगवान का समर्थन हासिल है या यह कि धरती पर वही भगवान का नुमाइंदा है और एक सत्ता के रूप में वह जो करता है वह वास्तव में उसकी मर्जी नहीं बल्कि भगवान द्वारा उसे सौंपी गई जिम्मेदारी है। इसलिए हम देखते हैं कि एक समय राजा को भगवान का प्रतिनिधि माना जाता था लेकिन ऐसा भी समय आया जब तर्क और विज्ञान ने आस्था पर विजय पायी और पूरी धरती से राजशाही का नामोनिशान मिट गया। यह बात पूंजीवादी राज्यसत्ता के लिए भी उसी प्रकार लागू होती है बस फर्क यह है कि यह अलग रूप में दिखायी पड़ती है। और निश्चित ही इसका भी उसी प्रकार अन्त होना है जैसे कि राजशाही का हुआ। ऐसे मुद्दों को उठाने का आपका प्रयास सराहनीय है।जय पुष्पhttps://www.blogger.com/profile/01821339425026535625noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2275470272718111970.post-72416588882646309752008-10-03T23:39:00.000+05:302008-10-03T23:39:00.000+05:30सही।सही।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.com