tag:blogger.com,1999:blog-2275470272718111970.post4706616744355660391..comments2023-10-15T13:12:51.019+05:30Comments on अन्दर की बात!: मीडिया का बिकाऊपन और आदर्शों का बानाKapilhttp://www.blogger.com/profile/15871506466698035418noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-2275470272718111970.post-2118947169021073122009-04-30T13:04:00.000+05:302009-04-30T13:04:00.000+05:30संदीप जी, जिस तरह मैं अमेरिका या पाकिस्तान में रहे...संदीप जी, जिस तरह मैं अमेरिका या पाकिस्तान में रहे बिना वहां के मुद्दों को सही तरीके से नहीं समझ सकता और तब वहां के मुद्दों पर कुछ कहना एक तरह से मेरा गाल बजाना ही कहलाएगा।<br /><br />यही बात छत्तीसगढ़ के मुद्दों या किसी भी राज्य के मुद्दों पर किसी के द्वारा बिना वहां रहे, समझे कहने पर कहलाएगी।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2275470272718111970.post-52618438161689988922009-04-30T12:55:00.000+05:302009-04-30T12:55:00.000+05:30संदीप जी मैं नहीं जानता आप कौन हैं और आपने मुझपर इ...संदीप जी मैं नहीं जानता आप कौन हैं और आपने मुझपर इल्जाम लगा दिया कि मैं आदतन कुछ भी कहता हूँ . आपके इस निष्कर्ष का कारण जान सकता हूँ ? मैंने तो जो पूछा ब्लॉग लेखक से पूछा था अगर वो जवाब नहीं देना चाहते तो उनकी मर्जी . ये भी जरा विस्तार से बताएं " हम " से आपका इशारा किस ओर है . जहां तक आपने बात अमेरिका की की है तो एमनेस्टी भी शायद एक अमेरिकन संस्था है . दरअसल बात ये है कि बहुत दिनों तक आप लोग अपनी बांसुरी बजा रहे थे , कोई कुछ नहीं कह रहा था तो सब उचित था , जब कुछ लोगों ने अपने विचार अलग दिशा में रखे तो आप लोगों को अच्छा नहीं लगा . आप लोग समर्थ हैं इस लिए बड़े बड़े समर्थन जुटा सकते हैं . ये प्रश्न जरूर अटपटा लगे लेकिन जरा बताएं कि प्राइवेट अस्पताल में हृदय रोग से सम्बंधित इलाज का कितना खर्च आता है ? सुप्रीम कोर्ट के नामी गिरामी वकीलों की फीस कितनी है . वायुयान से भ्रमण करने और सितारा होटलों में कितना खर्च आता है . क्षमा करें , समर्थ लोगों से ये सवाल नहीं पूछा जाना चाहिए.<br />एक सज्जन ने तो बिनायक सेन की तुलना भगत सिंग , राजगुरु से कर दी !!<br />binayaksen.net पर गिनी चुनी समर्थन की ही टिपण्णी आती है ? विरोध स्वीकार नहीं है .<br />मुझे तो अब ये लगने लगा है कि बेचारे बिनायक सेन को आप लोग बलि का बकरा बना रहे हैं, जिन्दगी भर सेवा का ये सिला ?<br />अनिल का भावनाप्रधान होना सही नहीं है , ये आप लोग कह रहे हैं जो अपनी भावना के कारण ही तो बिनायक सेन का समर्थन कर रहे हैं . आपकी भावना है तो सही दूसरे की भावना का कोई मूल्य नहीं .<br />PUCL को श्री जयप्रकाश जी ने बनाया आप लोगों ने तो उसका नाम भी बदल दिया (PUCLDR) .डॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2275470272718111970.post-78632691923360854752009-04-30T11:09:00.000+05:302009-04-30T11:09:00.000+05:30और हां, अनिल भाई,
विधायकों की खरीद फरोख्त में आ...और हां, अनिल भाई,<br /><br /><br />विधायकों की खरीद फरोख्त में आपका नाम आया था तो आपने राजनैतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल होने की बात कह कर अपनी सफाई दी, लेकिन कोई जनवादी मूल्यों के समर्थन या मीडिया के बिकाऊपन की बात करता है तो आप उस पर विदेशों से पैसा लेने का आरोप लगाते हैं, यह दोहरा व्यवहार कहां तक जायज है।संदीपhttps://www.blogger.com/profile/01871787984864513003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2275470272718111970.post-91360210097383249702009-04-30T11:07:00.000+05:302009-04-30T11:07:00.000+05:30महेश जी, हम लोगों का पक्ष तो तय ही है आप अपने पक्ष...महेश जी, हम लोगों का पक्ष तो तय ही है आप अपने पक्ष की चिंता कीजिए। हां, आप चाहें तो आदतन जो मर्जी इल्जाम लगाते रहिए।<br /><br />और त्रिपाठी जी, यह कब से और किसने तय कर दिया कि जो छत्तीसगढ़ में रहेगा वही उसकी बात कर सकता है, क्या आप कभी दिल्ली, अमेरिका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अल कायदा, रूस, चीन की बात नहीं करते, यदि करते हैं तो आप वहां रहे हैं क्या और यदि नहीं करते तो छोटी सी दुनिया से बाहर निकलिए, दुनिया केवल छत्तीसगढ़ नहीं है। नहीं तो हेगेल जैसे दार्शनिक भी कूपमंडूकता के कीचड़ से सन गए थे, क्योंकि वह अपने इलाके से कहीं बाहर ही नहीं जाते थे। खैर, फिर कभी...<br /><br />अनिल जी,<br /><br />यह तो कपिल भाई ने अपनी पोस्ट में ही लिखा है कि मीडिया को बिकाऊ कहने का मतलब यह नहीं कि व्यक्तिगत तौर पर हर पत्रकार बिकाऊ होता है, वे ट्रेंड की बात कर रहे हैं, उम्मीद है आप इस ट्रेंड को समझेंगे और समझते हैं तो दिल पर मत लीजिए। और कपिल ही क्या, हर कोई न बिकने के लिए आपका हौसला ही बढ़ाएगा आपको बिकने के लिए कह कौन रहा है। और सलवा जुडूम के मामले में तो अदालत तक की टिप्पणी की आपको जानकारी होगी ही। रही बात दिल्ली में या कहीं भी विनायक सेन के समर्थन में बात करने की, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि यह विदेशी पैसे से किया जा रहा है। ऐसे तो आपके लिए भी कहा जा सकता है आप अमेरिका के दलाल हैं और मानवाधिकार कार्यकर्ता के खिलाफ पैसा लेकर लिखते हैं।<br /><br />और मुझे नहीं लगता कि कोई भी समझदार व्यक्ति ''वामपंथी'' आतंकवाद को जायज ठहराएगा इसको तो लेनिन ने ही गलत कह दिया था और भारत में भी मार्क्सवाद या माओवाद के नाम पर आतंकवाद का व्यवहार रूस के नरोदवाद जैसा ही है। और आपको क्यों लगा कि कपिल ने या किसी और ने उसको सही ठहराया है। <br />उम्मीद है आप अन्यथा नहीं लेंगे, बात सिर्फ वैचारिक मतभेद की है।संदीपhttps://www.blogger.com/profile/01871787984864513003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2275470272718111970.post-30753587616915704032009-04-30T00:51:00.000+05:302009-04-30T00:51:00.000+05:30आदरणीय कपील जी!मुझे इस बात से इंकार नही है कि बाज़ा...आदरणीय कपील जी!मुझे इस बात से इंकार नही है कि बाज़ार आज सब पर भारी है लेकिन इसका मतलब ये तो नही है कि सारी दुनिया बिकाऊ है।क्या आप बिकाऊ है?नही ना!बस वही मेरा कहना है। और फ़िर किसी को बिकाऊ कहने का हक़ उसे है जो खुद बिकाऊ न हो।उन श्रीमान को आप भी जान्ते है ऐसा मै समझता हूं।उन्होने उदाहरण देकर ये साबित करने की कोशिश की है कि छत्तीसगढ मे ग्रामीण क्षेत्र के संवाददाताओं को वेतन नही मिलता,तो ये कौन सी नई बात है। ऐसा हर जगह होता है।वे जिस पत्र समूह से जुडे थे क्या उस अखबार ने खबरे कभी नही बेची?क्या उनके खिलाफ़ कभी लिखा उन्होने?क्या उनकी छत्तीसगढ मे किसानो की आत्महत्या खबर उनके खुद के बिक जाने की कहानी नही कहती?क्या आप उनकी उस खबर को सच मानते है?और भी बहुत सारी बाते है कहने को?मै इस बात से इंकार नही करता कि बहुत से लोग बिकने पर मज़बूर हो रहे है लेकिन इसका मतलाब ये नही है कि सारे के सारे लोग बिकाऊ हैं!अगर मै कहूं कि दिल्ली के सारे लोग दल्ले है तो ये तो अन्याय ही होगा ना? और फ़िर मुझे ऐसा कहने का हक़ दिया किसने?मै ये ज़रूर कह सकता हूं कि ये खबर दिल्ली वालो ने प्रमुखता से नही छापी मगर मै ये तो नही कह सकता कि दिल्ल्ली वालो को खबर नही लिखने के पैसे मिलते है?बेहतर होगा कि आप अपने उस साथी कि लिखी खबर को भी पढ ले जिस पर मैने अपना पक्ष रखा। आशा है कि आप मेरी बातो को अन्यथा नही लेंगे और बिकने-बिकाने के इस दौर मे नही बिकने के मामले मे मेरा हौसला बढायेंगे ना कि ये साबित करने कि कोशिश करेंगे कि सब बिकता है!जिसे बिकना है वो बिके हम तो नही बिकेंगे!Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2275470272718111970.post-38585072162426350932009-04-30T00:16:00.000+05:302009-04-30T00:16:00.000+05:30कभी छत्तीसगढ़ में रहना हुआ है आपका?
अगर नहीं तो पह...कभी छत्तीसगढ़ में रहना हुआ है आपका?<br />अगर नहीं तो पहले छत्तीसगढ़ में कुछ समय आकर रह लें फिर छत्तीसगढ़ के संदर्भ में अपनी बात रखें।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2275470272718111970.post-27336283960516897422009-04-30T00:11:00.000+05:302009-04-30T00:11:00.000+05:30अनिल ने कीचड उछालने वाले के तौर तरीके पर जो खुद को...अनिल ने कीचड उछालने वाले के तौर तरीके पर जो खुद को मीडिया का बताते हैं पर टिप्पणी की है . एक मछली सारे तालाब को गन्दा करती है लेकिन हम्माम में सभी तो नंगे नहीं हैं . किस तरह की बात कही गयी है उसपर भी नजर डालें. अनिल ने एक संस्था के प्रमुख होने के नाते अपने विचार रखे हैं . आप किसके पक्षधर हैं अनिल के या ?डॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2275470272718111970.post-65733692520014889552009-04-29T14:21:00.000+05:302009-04-29T14:21:00.000+05:30दारू और पैसा बस, वोटरों को ही क्यों ?.... मिडिया क...दारू और पैसा बस, वोटरों को ही क्यों ?.... मिडिया को भी बहती गंगा में हाथ धोने का हक है.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.com