कल इस घटना के विरोध में दिशा छात्र संगठन की अगुवाई में आईसा, एसएफआई व तमाम संगठन विरोध प्रदर्शन करेंगे। जनचेतना के घायल कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसी कायराना हरकतों से उनके हौसले कम नहीं होंगे। वे बार-बार और ज्यादा तेजी से इस साहित्य को दिल्ली विश्वविद्यालय समेत पूरे देश में पहुंचाते रहेंगे।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब भगतसिंह के लिखे साहित्य और अन्य तमाम प्रगतिशील साहित्य को सारे देश में कोने-कोने में पहुंचा रही यह वैन संघ परिवार के निशाने पर आई हो। मेरठ, मथुरा, आगरा, कोटा लगभग सभी जगह संघियों ने इस वैन पर हमले किए हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में भी एबीवीपी वाले भी पिछले कुछ सालों से इस प्रदर्शनी पर आकर बार-बार धमकी देते रहे हैं।
इसकी वजह भी साफ है। छात्रों-युवाओं के बीच जितनी तेजी से पिछले कुछ वर्षों में भगतसिंह और अन्य क्रांतिकारी साहित्य की चाहत बढ़ी है वह निश्चित ही एबीवीपी की राजनीति के लिए खतरे की घंटी है। इसके अलावा गांव-कस्बों से लेकर शहरों के कॉलेजों तक इस तरह की प्रदर्शनियां जितनी दूर तक क्रांतिकारी साहित्य पहुंचा रही है, उससे संघ परिवार की राजनीति की परेशानियां बढ़ना लाजिमी है। यह घटना उनकी इसी झुंझलाहट का नतीजा है।